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भारत का रक्षा तंत्र एक बहुआयामी और लगातार विकसित हो रहा ढांचा है

भारत का रक्षा तंत्र एक बहुआयामी और लगातार विकसित हो रहा ढांचा है, जिसका उद्देश्य देश की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता और राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना है। यह तीनों सेनाओं – थल सेना, नौसेना और वायु सेना – के साथ-साथ विभिन्न रक्षा अनुसंधान और उत्पादन संगठनों से मिलकर बना है।

मुख्य पहलू:

* रक्षा बजट: भारत का रक्षा बजट दुनिया के सबसे बड़े रक्षा बजटों में से एक है। वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए, यह ₹6.81 लाख करोड़ (लगभग $78.8 बिलियन) है, जो पिछले वर्ष की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है। इस बजट का एक बड़ा हिस्सा आधुनिकीकरण और स्वदेशीकरण पर केंद्रित है।

* स्वदेशीकरण पर जोर: भारत ‘मेक इन इंडिया’ पहल के तहत रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता पर जोर दे रहा है। इसका उद्देश्य घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देना और आयात पर निर्भरता कम करना है। हाल के वर्षों में रक्षा उत्पादन और निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।

* आधुनिकीकरण: भारतीय सशस्त्र बल अपने उपकरणों और प्रौद्योगिकी का लगातार आधुनिकीकरण कर रहे हैं। इसमें नए लड़ाकू विमान, युद्धपोत, पनडुब्बियां, तोपें और अन्य हथियार प्रणालियों का अधिग्रहण शामिल है।

* मिसाइल रक्षा प्रणाली: भारत ने एक बहु-स्तरीय मिसाइल रक्षा प्रणाली विकसित की है, जिसमें लंबी दूरी की S-400 ‘सुदर्शन चक्र’, मध्यम दूरी की बराक-8 और आकाश, और कम दूरी की स्पाइडर और त्वरित प्रतिक्रिया वाली QRSAM मिसाइलें शामिल हैं। यह प्रणाली देश को हवाई हमलों से सुरक्षा प्रदान करती है। हाल ही में, भारत ने ‘आकाशतीर’ नामक एक स्वदेशी वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग प्रणाली भी सक्रिय की है, जिसे ‘आयरन डोम’ के समान माना जाता है।

* रक्षा अनुसंधान और विकास: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। DRDO विभिन्न परियोजनाओं पर काम कर रहा है, जिसमें मिसाइलें, लड़ाकू विमान, रडार और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली शामिल हैं।

* सीमा अवसंरचना: भारत अपनी सीमाओं पर अवसंरचना को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। सीमा सड़क संगठन (BRO) सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों, पुलों और अन्य महत्वपूर्ण संरचनाओं का निर्माण कर रहा है।

* अंतरिक्ष में रक्षा: भारत अपनी रक्षा क्षमताओं को अंतरिक्ष में भी विस्तारित कर रहा है। इसमें उपग्रहों का विकास और एंटी-सैटेलाइट (ASAT) हथियारों का परीक्षण शामिल है।

* निजी क्षेत्र की भागीदारी: सरकार रक्षा उत्पादन में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित कर रही है। कई निजी कंपनियां अब रक्षा उपकरणों और प्रणालियों के डिजाइन और निर्माण में सक्रिय रूप से शामिल हैं।

हालिया घटनाक्रम:

* हाल ही में, भारत ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर जवाबी कार्रवाई की, जिसे “ऑपरेशन सिंदूर” नाम दिया गया। इस दौरान, भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तानी मिसाइलों को निष्क्रिय करने के लिए रूसी निर्मित S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली का इस्तेमाल किया।

* भारत ने स्वदेशी रूप से विकसित ‘आकाशतीर’ वायु रक्षा प्रणाली का भी सफलतापूर्वक उपयोग किया है, जिसने पाकिस्तानी मिसाइलों को मार गिराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चुनौतियां:

* रक्षा बजट का एक बड़ा हिस्सा पेंशन और वेतन जैसे राजस्व व्यय में चला जाता है, जिससे नए हथियारों और प्रणालियों के अधिग्रहण के लिए कम धन उपलब्ध होता है।

* रक्षा खरीद प्रक्रियाओं में देरी भी एक चुनौती है।

* तेजी से बदलती भू-राजनीतिक स्थिति और तकनीकी प्रगति के साथ तालमेल बनाए रखना आवश्यक है।

कुल मिलाकर, भारत का रक्षा तंत्र एक मजबूत और गतिशील प्रणाली है जो देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए लगातार विकसित हो रही है। स्वदेशीकरण पर बढ़ते ध्यान और आधुनिकीकरण के प्रयासों से भारत की रक्षा क्षमताओं में लगातार वृद्धि हो रही है।

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