दिल्ली

आखिर कहां गायब हो गई सरस्वती नदी

नवोदय वार्ता, दिल्ली

 

कहां विलुप्त हो गई है सरस्वती नदी, जानें

हमारा भारत देश बहुत ही विभिन्न विधिताओं से परिपूर्ण है। यहां बहुत सारे सुंदर नजारे देखने को मिलते हैं, जैसे कि पहाड़, समुद्र और नदियां आदि। गंगा और यमुना जैसी बड़ी-बड़ी नदियों के अलावा, हमारे देश में सरस्वती जैसी पौराणिक नदी भी रही है। इतवना ही नहीं, भारत में बहुत सारी अलग-अलग संस्कृतियां पैदा हुईं और खत्म भी हुईं, लेकिन नदियां हमेशा से लोगों को शुद्ध पानी देती रही हैं। ऐसी ही एक नदी है सरस्वती, जिसके अस्तित्व पर आज भी संशय बना हुआ है। शायद यह विलुप्त हो गई हो या फिर किसी अन्य नदी में समा गई हो। आइए इस लेख में ज्योतिषाचार्य पंडित त्रिपाठी जी से सरस्वती नदी से जुड़े रोचक तथ्यों के बारे में विस्तार से जानते हैं और यह जानने का कोशिश करते हैं कि क्या यह नदी वास्तव में हमारे बीच से विदा हो चुकी है। 

पुराण में किया गया है सरस्वती नदी का उल्लेख

सरस्वती नदी को पुराणों में देवी के समान माना जाता है। इनके बारे में कहा जाता है कि यह नदी आज भी धरती के अंदर बहती है, हालांकि हम इसे देख नहीं सकते हैं।  विज्ञान के अनुसार, यह नदी हजारों साल पहले धरती की सतह पर बहती थी, लेकिन अब यह विलुप्त हो चुकी है। ऐसा कहा जाता है कि सरस्वती नदी धरती पर तब अपने अस्तित्व में आएंगे। तब कलयुग का समापन हो जाएगा। 

सरस्वती नदी का उद्गम स्थल कहां है?

महाभारत के वर्णन के आधार पर सरस्वती नदी का उद्गम हरियाणा के आदिबद्री नामक स्थान पर शिवालिक पहाड़ियों के पास था। इस स्थान को आज भी तीर्थस्थल माना जाता है। हालांकि, समय के साथ नदी का स्वरूप बदल गया है और अब यह एक पतली धारा के रूप में दिखाई देती है। फिर भी, लोगों की आस्था में यह नदी आज भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। 

वैदिक और महाभारत ग्रंथों में उल्लेख ब्रह्मावर्त इसी नदी के तट पर स्थित था। आज वहां कुछ जलाशय ही बचे हैं। कुरुक्षेत्र में भी इसी तरह के अर्धचंद्राकार सरोवर हैं जो अब सूख चुके हैं। 

सरस्वती नदी का वास्तविक उद्गम उत्तराखंड के रूप ग्लेशियर से होता था, जिसे अब सरस्वती ग्लेशियर भी कहा जाता है।ॉ

क्या आज भी मौजूद है सरस्वती नदी?

कई वैज्ञानिकों के खोज से पता चला है कि एक समय था। जब सरस्वती नदी के आसपास के जगहों पर भूकंप आए और जमीन के नीचे के पहाड़ ऊपर आ गए। जिसके कारण सरस्वती नदी का जल पीछे की ओर चला गया। वैदिक काल में एक और नदी का वर्णन है। जो सरस्वती नदी की सहायक नदी है। यह हरियाण से होकर बहती है। ऐसा कहा जाता है कि जब भूकंप आए और हरियाणा के साथ-साथ राजस्थान की धरती के नीचे पहाड़ उपर उठे, तभी नदियों के बहाव की दिशा बदल गई। आपको बता दें, दृषद्वती को अब यमुना नदी कहते हैं। यमुना नदीं पहले चंबल की सहायक नदी थी। भूकंप की वजह से जब जमीन ऊपर उठी, तो सरस्वती नदी का पानी यमुना में मिल गया। इसलिए प्रयागराज को इसी कारण तीन नदियों का संगम भी माना गया है। वहां सरस्वती नदी गुप्त होकर बहती है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button